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Showing posts from February, 2024

विवाह का स्वयंवर

title:- नारी ज्ञान से ही नारी उत्थान सम्भव subtitle:- विवाह का स्वयंवर कहावत :- जोड़ियां तो उपर वाला यानी भगवान के घर में बनाई जाती हैं  अगर ऐसा होता तो स्वयंवर की प्रथा का क्या महत्व था, विवाह के लिए लड़का या लड़की खोजने की जरूरत ही क्या है? फिर पढ़ाई लिखाई के बारे में क्यों ही चिन्ता करी जाती है, फिर विवाह को बन्धन या कॉन्ट्रैक्ट क्यों कहा जाता है। फिर विवाहित जीवन को श्राप जैसा क्यूं जीते हैं पति पत्नी, खास कर बच्चे होने के बाद, बच्चे होने के बाद माता पिता बन जाते हैं तो क्या पति पत्नी नहीं रहते, नहीं बचते, सिर्फ माता पिता ही रह जाते हैं। या कहीं हमारे समझने में ही तो कोई त्रुटि कोई कन्फ्यूजन कोई भ्रम तो नहीं है मूल भाव ही हम नहीं समझ पाए कहावत का! क्या भगवान या परमात्मा भी नौकरी ही कर रहे हैं जोड़ियां बनाने की या कुछ भी करो तो भगवान जी का नाम लगा दिया जाता है। या उनको प्रोजेक्ट दे दिया जाता है। अगर जोड़ियां बनाना अपने यानी इन्सान के हाथ में होता ही नहीं तो ज्योतिष ज्ञान की तो जरूरत ही खत्म हो जाती, परंतु ऐसा कुछ भी है ही नहीं अगर माहोल को देखे समझें तो सभी कुछ लगता है ठीक ही है...

अज्ञानता का महत्व

title:- नारी ज्ञान से ही नारी उत्थान सम्भव sub title:- अज्ञानता का महत्व 1 कहावत, समझदार कौवा गूं पर ही बैठता है। इसका अर्थ अपने अन्दर कितनी सारी अज्ञानता छुपाए है ये समझना ही होगा यदि मानव जीवन का जरा सा भी उपयोग करना है तो "कहते हैं अ के पीछे सारा ब्रह्मांड छुपा है" बस इसी गणित को लेकर आगे चले हम और दिख गया कविता वा ज्ञानिता का अन्तर, कुच्छल ताऊ ने कहा है कहीं पे " कन्या 1 कविता है जबकि ब्याहता 1 ज्ञानिता है " अब समझो दोनों में क्या है अन्तर। फिर मणिदेवकी निधि कंसल, षोडशी गोपाल मन्दिर अम्बाला हरियाणा, का शुरू किया हुआ 1 अभियान , " हर कन्या को मणि बनाना ही है मेरा जीवन लक्ष्य " अम्बाला वो शहर जहां पर बीजारोपण हुआ था सबसे भयंकर महायुद्ध महाभारत का, यहां पर ही अम्बा ने गर्भ में उस बीज को धारण किया जिसके फल के उपयोग से भीष्म पितामह को मृत्यु दण्ड दिया जा सके। इसी गर्भ धारण ने ही औरत को अबला बना दिया वा उसके सारे ज्ञान को जो हर प्रकार के बल से युक्त था को "अ" के पीछे छुपा दिया। इसी ज्ञान को उजागर करने हेतु मणिदेवकी के कहने पर अश्वनी सिस्टम के प्रोपर...

बेटियां क्यों कर रही हैं विवाह को मना?

title:- नारी ज्ञान से ही नारी उत्थान सम्भव  subtitle:- बेटियां क्यों कर रही हैं विवाह को मना? आज के समाज में नारी उत्थान की चर्चा सिर्फ 1 चर्चा का विषय बनकर रह गया है कोई भी व्यवहारिक तौर पर समाज में होता हुआ बहुत ज्यादा दिख नहीं रहा, सिवा " बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ " जैसे कुछ अभियान शुरू किए गए हैं वर्तमान सरकारों द्वारा। अब चिन्ता का विषय ये है की बेटियां विवाह करने हेतु तैयार ही नहीं हो रहीं। 1 ही बात मुझे विवाह नहीं करना, मुझे विवाह करके बंधन में नहीं बंधना। मैं अपना खर्चा आप चलाने में सक्षम हूं, मैं बच्चे गोद ले लूंगी, मैं nhi सहना चाहती दर्द । मैं आत्म निर्भर हूं तो मैं दूसरे पर बोझ क्यों बनू या दूसरे को अपने पर बोझ क्यों ही बन ने दूं। मुझे भी आजादी चाहिए अपनी मर्जी से जीवन बिताने का पूरा हक है ये सब दलील देने लग गईं हैं आज की युवतियां चाहे किसी भी वर्ग की हों या देश की, दुनियां के किसी भी कोने से हों यही चर्चा सुनाई दे ही जाती है 2 4 दिन में कहीं ना कहीं, जब इस बारे में टाइम क्लॉक म्यूजियम एंड रिसर्च सेंटर दिल्ली की टीम ने इसको अपने एजेंडा में शामिल किया और तकरीबन रोज़ ही ...